Swine Flu Ke Khatre Or Alamat

Symptoms of Swine Flu
Swine Flu Ka Elaj Urdu Hindi 2015

स्वाइन फ्लू के खतरे और लक्षण

संक्रमण से बचाव ही उचित उपाय

Swine Flu ke ilaj Ke Sath Parhez Bhi Zaroori hai.

स्वाइन फ्लू ने सारे देश में दहशत मचा रखी है। अचानक यह महामारी सुरसा की तरह फैली और देखते ही देखते महानगरों को अपनी चपेट में ले लिया। आमतौर पर पशुओं और पालतू जानवरों को होने वाले वायरस के हमले कभी इंसानों तक नहीं पहुँचते। इसकी वजह यह है कि जीव विज्ञान की दृष्टि से इंसानों और जानवरों की बनावट में फर्क है। अभी देखा यह गया था कि जो लोग सूअर पालन के व्यवसाय में हैं और लंबे समय तक सूअरों के संपर्क में रहते हैं, उन्हें स्वाइन फ्लू होने का जोखिम अधिक रहता है। मध्य 20 वीं सदी से अब तक के चिकित्सा इतिहास में केवल 51 केसेस ही ऐसे हैं जिनमें वायरस सूअरों से इंसानों तक पहुँचा हो। ध्यान में रखने योग्य यह बात है कि सूअर का माँस खाने वालों को यह वायरस नहीं लगता क्योंकि पकने के दौरान यह नष्ट हो जाता है। क्या है लक्षण स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा के लक्षणों की तरह ही होते हैं। बुखार, तेज ठंड लगना, गला खराब हो जाना, मांसपेशियों में दर्द होना, तेज सिरदर्द होना, खाँसी आना, कमजोरी महसूस करना आदि लक्षण इस बीमारी के दौरान उभरते हैं। इस साल इंसानों में जो स्वाइन फ्लू का संक्रमण हुआ है,वह तीन अलग-अलग तरह के वायरसों के सम्मिश्रण से उपजा है। फिलहाल इस वायरस के उद्गम अज्ञात हैं। वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हैल्थ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह वायरस अब केवल सूअरों तक सीमित नहीं है, इसने इंसानों के बीच फैलने की कुवत हासिल कर ली है। अमेरिका में 2006 से अब तक केवल 12 मामले ही सामने आए हैं। एन्फ्लूएंजा वायरस की खासियत यह है कि यह लगातार अपना स्वरूप बदलता रहता है। इसकी वजह से यह उन एंटीबॉडीज को भी छका देता है जो पहली बार हुए एन्फ्लूएंजा के दौरान विकसित हुई थीं। यही वजह है कि एन्फ्लूएंजा के वैक्सीन का भी इस वायरस पर असर नहीं होता। क्या है खतरा 1930 में पहली बार ए1एन1 वायरस के सामने आने के बाद से 1998 तक इस वायरस के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। 1998 और 2002 के बीच इस वायरस के तीन विभिन्न स्वरूप सामने आए। इनके भी 5 अलग-अलग जीनोटाइप थे। मानव जाति के लिए जो सबसे बड़ा जोखिम सामने है वह है स्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस के म्यूटेट करने का जोकि स्पेनिश फ्लू की तरह घातक भी हो सकता है। चूँकि यह इंसानों के बीच फैलता है इसलिए सारे विश्व के इसकी चपेट में आने का खतरा है। कैसे बचेंगे सूअरों को एविएन और ह्यूमन एन्फ्लूएंजा स्ट्रेन दोनों का संक्रमण हो सकता है। इसलिए उसके शरीर में एंटीजेनिक शिफ्ट के कारण नए एन्फ्लूएंजा स्ट्रेन का जन्म हो सकता है। किसी भी एन्फ्लूएंजा के वायरस का मानवों में संक्रमण श्वास प्रणाली के माध्यम से होता है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति का खाँसना और छींकना या ऐसे उपकरणों का स्पर्श करना जो दूसरों के संपर्क में भी आता है, उन्हें भी संक्रमित कर सकता है। जो संक्रमित नहीं वे भी दरवाजा के हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर या टॉयलेट के नल के स्पर्श के बाद स्वयं की नाक पर हाथ लगाने भर से संक्रमित हो सकते हैं। क्या है सावधानियाँ सामान्य एन्फ्लूएंजा के दौरान रखी जाने वाली सभी सावधानियाँ इस वायरस के संक्रमण के दौरान भी रखी जानी चाहिए। बार-बार अपने हाथों को साबुन या ऐसे सॉल्यूशन से धोना जरूरी होता है जो वायरस का खात्मा कर देते हैं। नाक और मुँह को हमेशा मॉस्क पहन कर ढँकना जरूरी होता है। इसके अलावा जब जरूरत हो तभी आम जगहों पर जाना चाहिए ताकि संक्रमण ना फैल सके। क्या है इलाज संक्रमण के लक्षण प्रकट होने के दो दिन के अंदर ही एंटीवायरल ड्रग देना जरूरी होता है। इससे एक तो मरीज को राहत मिल जाती है तथा बीमारी की तीव्रता भी कम हो जाती है। तत्काल किसी अस्पताल में मरीज को भर्ती कर दें ताकि पैलिएटिव केअर शुरू हो जाए और तरल पदार्थों की आपूर्ति भी पर्याप्त मात्रा में होती रह सकें। अधिकांश मामलों में एंटीवायरल ड्रग तथा अस्पताल में भर्ती करने पर सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।

Swine Flu Ke elaj India Me

Swine Flu in India 2015

Septilin For Swine Flu

Swine Flu Ka Ilaj
Swine Flu And Septilin

Enhances immunity via Septilin Syrup: Immunomodulatory, antioxidant, anti-inflammatory and antimicrobial Septilin are beneficial in maintaining overall wellness. Increase the level of antibody-forming cells, raising the body’s resistance to infection. Septilin stimulates phagocytosis (removal of bacteria through ingestion) by macrophages (white blood cells) activation, which fights infection, best medicine for swine flu H1N1 virus.

Benefits For Septilin: Septilin possesses antipyretic (reduces fever) properties. It is also beneficial in respiratory tract infections, including chronic tonsillitis, pharyngitis, chronic bronchitis, nasal catarrh (mucous membrane inflammation of the respiratory tract) and laryngitis.

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